लखनऊ(सौम्य भारत)। प्रधान निदेशालय, रक्षा सम्पदा, मध्य कमान लखनऊ में शनिवार को हिन्दी पखवाड़ा समापन समारोह आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती भावना सिंह, प्रधान निदेशक, रक्षा सम्पदा, मध्य कमान लखनऊ द्वारा की गई। इस अवसर पर निदेशालय के अधिकारीगण ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। साहित्य जगत के गणमान्य विशिष्ट अतिथियों ने काव्य-पाठ एवं हिन्दी के विकास पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। इस दौरान अगली श्रृंखला में राजभाषा हिन्दी के प्रोत्साहन और प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी श्रुतलेख प्रतियोगिता, नोटिंग/ड्राफ्टिंग प्रतियोगिता, अनुवाद प्रतियोगिता एवं निबन्ध प्रतियोगिता आयोजित की गई। हिन्दी भाषा के विकास में हिन्दी साहित्य का योगदान विशय पर मुख्य व्याख्यान श्रीमती रजनी गुप्त (लेखिका) द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर मुकुल महान द्वारा हास्य-रस पर व पंकज प्रसून ने व्यंग्य-रस पर कविता-पाठ किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष ने सम्बोधित करते हुए हिन्दी भाषा का महत्व बताया गया। हमारी हिन्दी भाशा कश्मीर से कन्या-कुमारी एवं द्वारिका से तवांग तक समझी जाती है। रूस, जर्मनी, एवं जापान जैसे देषों ने अपनी मातृभाशा को प्राथमिकता दी है । उसी प्रकार भारत की प्रगति का मार्ग भी विकसित राजभाषा से प्रशस्त होगा। निदेशालय के अधिकार क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, एवं मध्यप्रदेश में स्थित 25 छावनी परिषद एवं 10 रक्षा सम्पदा अधिकारी, कार्यालयों में भी हर्षोल्लास के साथ हिन्दी पखवाड़ा मनाया गया।
मध्य कमान लखनऊ में हुआ हिन्दी पखवाड़ा समापन
लखनऊ(सौम्य भारत)। प्रधान निदेशालय, रक्षा सम्पदा, मध्य कमान लखनऊ में शनिवार को हिन्दी पखवाड़ा समापन समारोह आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती भावना सिंह, प्रधान निदेशक, रक्षा सम्पदा, मध्य कमान लखनऊ द्वारा की गई। इस अवसर पर निदेशालय के अधिकारीगण ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। साहित्य जगत के गणमान्य विशिष्ट अतिथियों ने काव्य-पाठ एवं हिन्दी के विकास पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। इस दौरान अगली श्रृंखला में राजभाषा हिन्दी के प्रोत्साहन और प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी श्रुतलेख प्रतियोगिता, नोटिंग/ड्राफ्टिंग प्रतियोगिता, अनुवाद प्रतियोगिता एवं निबन्ध प्रतियोगिता आयोजित की गई। हिन्दी भाषा के विकास में हिन्दी साहित्य का योगदान विशय पर मुख्य व्याख्यान श्रीमती रजनी गुप्त (लेखिका) द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर मुकुल महान द्वारा हास्य-रस पर व पंकज प्रसून ने व्यंग्य-रस पर कविता-पाठ किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष ने सम्बोधित करते हुए हिन्दी भाषा का महत्व बताया गया। हमारी हिन्दी भाशा कश्मीर से कन्या-कुमारी एवं द्वारिका से तवांग तक समझी जाती है। रूस, जर्मनी, एवं जापान जैसे देषों ने अपनी मातृभाशा को प्राथमिकता दी है । उसी प्रकार भारत की प्रगति का मार्ग भी विकसित राजभाषा से प्रशस्त होगा। निदेशालय के अधिकार क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, एवं मध्यप्रदेश में स्थित 25 छावनी परिषद एवं 10 रक्षा सम्पदा अधिकारी, कार्यालयों में भी हर्षोल्लास के साथ हिन्दी पखवाड़ा मनाया गया।