पुण्यतिथि याद किये गए पत्रकार अखिलेश कृष्ण


 श्रद्धांजलि देने पहुचीं रीताकृष्ण मोहन सहित अन्य पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता 

लखनऊ(सौम्य भारत)। राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका शिकायत इंडिया और अफेयर इंडिया न्यूज चैनल के संस्थापक सदस्य पत्रकार स्मृति शेष अखिलेश कृष्ण मोहन की द्वितीय पुण्यतिथि को शनिवार को उनका निजी निवास केंद्रीय भवन अलीगंज में संपन्न हुआ। इस दौरान लखनऊ के सभी संपादक और वरिष्ठ पत्रकार ने मोहन के फेयरता एंव निडरता को याद करते हुए चक्र के उस जीवंत युग का अंत बताया जो सीमित संसाधनों में भी कभी अपने हौसले को खोया नहीं, लेकिन बीते साल कोरोना काल के चंगुल में आ गए सीनियर एडिटर मोहन कोविड की जंग को लड़ते हुए जंग को हार गए और उसी दिन सूरज की मौत की खबर को सुन कर मोहन की मां पार्वती देवी का भी सदमें से निधन हो गया। आज फर्क इंडिया की विरासत को सजोए हुए आगे बढ़ते के लिए संकल्पित अखिलेश कृष्ण मोहन की पत्नी रीता कृष्ण मोहन तमाम झंझावात दुखों को जीतते हुए आगे बढ़ रहे हैं। शनिवार को दूसरी पुण्यतिथि पर मोहन को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजवीर सिंह ने कहा कि आज के दौर में पत्रकार नाम के आगे लिखना आसान हैं मगर इस क्षेत्र में ऐशोआराम की बात नहीं होती यहां हमेशा संघर्ष से जूझती आंदोलन हैं। ज्यादातर के नसीब में नहीं होते...सुबह से कब रात हुई और कब सुबह फिर खबरों की दौड़ में हिस्सा नहीं पता लगता! एक पत्रकार के लिए एकमात्र दायित्व की संपूर्ण विवेचना कर पाना किसी समस्या से कम नहीं ! उनके माँ-बाप, बीवी-बच्चों या अन्य परिजनों का जिस समय पर अधिकार होता है, वह समय तो खबरों की खोज में खोज में है ! वहीं वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभान यादव ने अखिलेश कृष्ण मोहन को श्रद्धांजलि अर्पित कर याद करते हुए श्रद्धांजलि सभा में कहा कि सभी झंझावातों को जितते हुए समाचारों की खोज और फिर ऑडियो-वीडियो या लिखित रूप में उनका सम्मान करने में अपना समय कर रहे हैं बहुत ही संघर्ष के दम पर मोहन इंडिया को इतने ऊचाइयों पर पहुचाने का काम किए गए थे आज उनके कार्यों का कोई मोल नहीं है। इसे जींवत कभी भी नहीं जा सकता। एक करोड़ी पत्रकार के सभी शत्रु भी हो जाते हैं, जो आपके तेरहों से समझौता नहीं करता। उसी तरह कितनी रंजीशें उससे सौगात में मिलती हैं..! कार-बंगला और हाई क्लास लाइफ स्टाइल को तो भूल ही जाइए, पापाराजी का एक बड़ा वर्ग रोटी-कपड़ा-मकान जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की जांच सुनिश्चित करने को जद्दोजहद करता रहता है। उम्र ढलती जाती है, जिम्मेदार जिम्मेदारियां और जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही हैं... और अस्त-व्यस्त जीवन के कारण इस समुदाय के संग सौगात के रूप में आपस में जुड़े कई परिवारों के साथ कई बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। हर उस समस्या का समाधान और निदान अखिलेश कृष्ण मोहन जी के पास रहता था, जो कठिन से कठिन समय में भी अपने जज्बे के साथ लड़ने का प्रयास करते रहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा एक अभियान ने कलम के योद्धा को अपनी चपेट में ले लिया। कोरोना काल पापराशि के लिए उदासी की घंटी बजाई गई थी कई बुजुर्ग महामारी की मृत्यु इस कोरोना काल में हो गई थी। खैरि राष्ट्रीय पत्रिका विदेश इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार स्मृति शेष अखिलेश कृष्ण मोहन जी ने अपनी पत्रकारिता की अवधि में ईमानदारी और हाशिया पर रहने वाले समाज के साथ लगातार पत्रकारिता की थी और आज भी अलग-अलग इंडिया के चित्र रास्ते पर चल कर उसी मंजिल की दिशा में बढ़ रहे हैं आज के समय में नए विकल्प कम तो नहीं होंगे लेकिन बड़ी से जूझती पत्रिका की पहचान में शिकायत इंडिया का नाम जरूर दर्ज करते हैं। इस मौके पर लाल जी निर्मल एमएलसी व पत्रकार, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप विश्वकर्मा, शेट्टी मिश्रा, काशी यादव, आशीष मिश्रा, चंद्रभान यादव, डॉ आरक्षित सिंह, जितेंद्र यादव, राजेन्द्र गौतम, सुनील दिवाकर, व्यस्त डॉ यादव, लाल चंद्र, सुनील यादव, डॉ दिलीप यादव,