भाई परछाई व मित्र आईना जैसा होना चाहिए: साध्वी ऋतम्भरा



- केन्द्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने लिया आशीर्वाद 

- सात दिवसीय रामकथा का समापन आज

लखनऊ(सौम्य भारत)। राजधानी में चल रही रामकथा के छठवें दिन साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि राम के पदचिह्नों पर चलकर इतिहास बदलने के लिए तैयार हो जाओ। समाज में ताड़का, सूर्पणखा व आसुरी वृत्तियों के नाश के लिए राम बनना होगा।

भारत लोक शिक्षा परिषद के तत्वावधान में सीतापुर रोड स्थित रेवथी लान में आयोजित राम कथा में साध्वी ऋतम्भरा ने बृहस्पतिवार को भरत के चरित का गुणगान करते हुए राम-भरत मिलन प्रसंग का जीवन्त शब्द चित्र खींचा। कथा आरम्भ होने के पूर्व मुख्य यजमान डा. नीरज बोरा ने सपत्नी व्यास पूजा की। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, राज्यसभा सांसद अशोक वाजपेयी व जेवर से आयीं राजेश कुमारी सहित अन्य गणमान्यजनों ने व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए कथा श्रवण किया। पर्णकुटी में वनवासी राम का वर्णन करते हुए साध्वी ने कहा कि वे वहां ऐसे सुशोभित हैं जैसे सुरपुर का स्वामी इन्द्रपुरी में विराजमान हों। उन्होंने कहा कि आप झोपड़ी में रहें या महल में किन्तु आपकी भावनाओं की अमीरी ही असली अमीरी है। सुविधाओं में जीने वाले तेजस्वी नहीं होंगे। ब्राह्मण के घर जन्म लेकर ब्राह्मणत्व नहीं है, भगवा पहनकर संत स्वभाव नहीं तो सिर्फ चोला बदल लेने से कुछ नहीं होगा। साध्वी ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट दशरथ धर्म धुरन्धर हैं। वचन दिया तो पुत्र को वन भेजा और जब प्रेम धर्म निभाया तो राम के विरह में शरीर का त्याग कर दिया। मनुष्य को अन्तिम समय में अपने सभी कर्म याद आते हैं। उन्हें यह भी स्मरण था जिसमें श्रवण के माता पिता ने पुत्र वियोग में प्राण त्यागने का श्राप दिया था। इसके बाद राम समेत चारों भाई के आपसी प्रेम को उदात्त बताते हुए साध्वी ने कहा कि भाई परछाई जैसा और मित्र आईना जैसा होना चाहिए। मिलन के समय राम भरत से कहते हैं कि सबको मिलकर पिता के प्रण को पूरा करना है। भरत के पीछे शत्रुघ्न और राम के पीछे लखन हैं। आदर्श ढूंढे नहीं जाते अपितु आदर्श बनकर स्वयं प्रस्तुत किये जाते हैं। इतिहास के पन्नों में राजसत्ता के लिए भाई-भाई, पिता-पुत्र की हत्याओं का अध्याय है किन्तु अयोध्या सम्राट की सन्तानों को कुर्सी से कोई मोह नहीं। रिश्ते निःस्वार्थ होने चाहिए यदि वे स्वार्थ में लिपटे हों तो उसका कोई अर्थ नहीं। उन्होंने कहा कि अयोध्या के कनक भवन की श्यामा नामक एक घोड़ी वृद्ध हो चली तो मैनेजर ने उसे वापस झांसी भेजकर नयी घोड़ी मंगाने का विचार किया। मालगाड़ी में उसे लोड कर दिया गया किन्तु उसके मन में यही था कि उसका तन श्रीअयोध्या धाम में छूटे। वही हुआ और मालगाड़ी बिना वह डिब्बा जोड़े वापस चली गयी। श्यामा को मरा समझकर कनक भवन के मेहतर वहां पहुंचे और कान में कहा कि तुम अब अयोध्या छोड़कर नहीं जा रही हो, श्यामा उठ बैठी। उसके बाद भी वह पांच साल तक जीवित रही। इसी प्रकार राजस्थान में एक नन्दी हैं जो शिव मन्दिर की प्रतिदिन परिक्रमा करते हैं। साध्वी ने कहा कि हम मनुष्य हैं तो हमें अपने भावसुमन प्रभु के चरणों में अर्पित करना चाहिए। प्रभु ने मुस्कराने का भाव सिर्फ मनुष्य को दिया है इसलिए खूब मुस्कुराओ। गुण को आभूषण बताते हुए साध्वी ने कहा कि वनवास काल में अनुसूइया ने जानकी को अलंकृत किया। मनुष्य के गुण ही वास्तव में विपत्ति में साथ देते हैं। पति व पत्नी के बीच का मनमुटाव ठीक नहीं। प्रीत हो तो मन वचन कर्म से होनी चाहिए। अवगुण के स्थान पर दोनों को एक-दूसरे के गुण देखने चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य यजमान डा. नीरज बोरा ने बताया कि अशोक वाटिका प्रसंग व राज्याभिषेक के साथ शुक्रवार को सात दिवसीय रामकथा का समापन होगा। समापन के पूर्व प्रातः दस बजे साध्वी ऋतम्भरा श्रद्धालु भक्तों को दीक्षा देंगी। इस दौरान नन्दकिशोर अग्रवाल, गिरिजाशंकर अग्रवाल, उमाशंकर हलवासिया, आशीष अग्रवाल, भूपेन्द्र कुमार अग्रवाल ‘भीम’, पंकज बोरा, राजेश अग्रवाल, अनिल अग्रवाल मुन्ना, भारत भूषण गुप्ता, मनोज अग्रवाल, राधेमोहन अग्रवाल, विनोद माहेश्वरी, डा. एस.के.गोपाल, अनुराग साहू सहित हजारों श्रद्धालु समेत अनेक जनप्रतिनिधि व गणमान्य विभूतियां आरती में सम्मिलित हुईं।