सामाजिक विकास में ज्ञान संगठन व वित्त की अहम भूमिका: मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड

 


लखनऊ(सौम्य भारत)। किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में ज्ञान संगठन व वित्त की अहम भूमिका होती है। जब तक तीनों का समन्वय नहीं होता तब तक सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं होता। यह बात इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि क्षेत्रीय केंद्र के तत्वावधान में सोमवार को आयोजित एक दिवसीय आन लाइन गोष्ठी में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक डा डीएस चौहान ने ग्रामीण विकास में रोज़गार के अवसर विषय पर गोष्ठी में कहा। उन्होंने कहा कि कृषि के विकास में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि की आधारभूत संरचना में सुधार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया की ग्रामीणों को कच्चे माल की जगह खाद्य प्रसंस्करण के ज़रिए उत्पाद की आपूर्ति करना चाहिए।

रिसोर्स पर्सन के रूप में मौजूद वन्य जीव बोर्ड उत्तर प्रदेश के सदस्य डाक्टर अनूप कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य और रोज़गार किसी देश के समावेशी विकास की आधारशिला है। उन्होंने ग्रामीणों को नेचर गाइड के रूप में नियुक्त करने की वकालत करते हुये कहा कि अगर शहरों की ओर हो रहा पलायन रोकना है तो ग्रामीण रोज़गार के अवसर बनाने होंगे।

गोष्ठी की संरक्षक तथा इग्नु क्षेत्रीय केन्द्र लखनऊ की निदेशक डा मनोरमा सिंह ने कहा कि ग्रामीण रोज़गार से सम्बंधित पाठ्यक्रमों का संचालन करने के लिए इग़्नु कटिबद्ध है। 

कार्यक्रम समन्वयक तथा इग़्नु के सहायक निदेशक डा कीर्ति विक्रम सिंह ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और हमारी सरकार ने कृषकों की आय दो गुनी करने का लक्ष्य रखा है। इसमें इग्नु की महती भूमिका होगी। सचिव डा जय प्रकाश वर्मा ने ग्रामीण अर्थशास्त्र को विकास की धुरी बताते हुए कहा कि मज़बूत इच्छाशक्ति से नए नए रोज़गार के अवसर सृजित किये जा सकते हैं।