खेलें भी तो एंटीएलर्जिक एंटीफंगल व एंटीबैक्टीरियल इकोफ्रेंडली होली

- रंगों खेलकर धूप में ज्यादा समय रहने पर हो सकता है एलर्जिक रिएक्शन

-  सांस के रोगियों को गुलाल से रहे दूर
- अधिकतर रंगों में केमिकल के कारण त्वचा व आंख के लिए हैं हानिकारक

                                                                         लखनऊ(सौम्य भारत)। बगैर रंग के होली की कल्पना ही नहीं की जा सकती है, लेकिन मुश्किल यह है कि एक तो कोरोना वायरस और दूसरे अधिकतर रंगों में केमिकल पाए जाते हैं, जो हमारी त्वचा व आंख के लिए  हानिकारक होते हैं। ऐसे में खेलें भी तो क्यों न हम हर्बल एंटीबैक्टीरियल, एंटीएलर्जिक ईको-फ्रेंडली ही खेलें होली। यह संभव है कि प्रकृति में पाये जाने वाले विभिन्न सुगंधित फूलों, पौधों, चन्दन, आटे, बेसन, ग्वारपाठा, नीम व हल्दी की मदद से घर बैठे सुगंधित  आकर्षक व चटकीले रंग घर पर ही बना कर हम हर्बल इकोफ्रेंडली होली का मज़ा ले सकते हैं। होली सुख शांति, अच्छे धन-धान्य, भाषा, धर्म और संस्कृति के भेद और ऊँच-नीच की दीवारें टूट जाती हैं, लेकिन बदलते हालातों में होली की परम्परा अब उतनी खूबसूरत नहीं रह गई, जितनी पहले हुआ करती थी। होली पर रंगों का इस्तेमाल करने के लिए चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ युगल राजपूत ने बताया कि गीले रंगों से होली खेलने पर खाल छिल जाती है और धूप में ज्यादा समय रहने पर एलर्जिक रिएक्शन भी हो सकती है। इसके अलावा सांस के रोगियों को गुलाल से दूर रहना चाहिए। वहीं पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी ने बताया कि बाजारों में कई तरह के हर्बल रंग मिल रहे हैं, लेकिन इनकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। इसलिए हरसिंगार के फूलों या टेसू के फूलों को जमा कर छाया में सुखाकर उनको पानी में भिगोकर नारंगी रंग बना सकते हैं। इसी प्रकार गाढ़े नारंगी लाल रंग के लिए एक चुटकी कत्था और दो चम्मच हल्दी पाउडर में कुछ बूंद पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे 10 लीटर पानी में घोलकर पतला कर सकते हैं। इसके साथ ग्वारपाठा (एलोवीरा) के कांटे निकालकर उसे पीस लें और जो हरा रंग का पेस्ट का  मिले उसे हरे हर्बल रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें नीम की पत्तियों का पेस्ट भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है या फिर गुलमोहर की पत्तियों को सुखाकर, पावडर कर लें, इसे हरे रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर मेंहदी को आटे के साथ मिलाकर सूखा हरा रंग तैयार कर सकते हैं। ध्यान रहे कि आपकी मेंहदी में आंवला न मिला हो। अगर आप पक्के रंग की होली चाहते हैं तो इस मिश्रण को पानी में घोलें। साथ ही नीम की पत्तियों के एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जिक अद्भुत गुण का इस्तेमाल कर नीम गुलाल हेतु नीम की पत्तियों को सुखाकर उसका पाउडर रंग का इस्तेमाल रंग व गुलाल की तरह किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि हल्के पीले रंग के लिए चने के पाउडर का इस्तेमाल करें। हल्दी और बेसन को मिलाकर भी पीला रंग तैयार कर सकते हैं। इसके लिए जितनी हल्दी लें, उसकी दोगुनी मात्रा में बेसन मिलाएं। आमतौर पर इसे बतौर उबटन भी घरों में इस्तेमाल करते हैं। यानी इस पीले रंग से त्वचा और भी निखर जाएगी। आप चाहें तो हल्दी को बेसन की जगह मुल्तानी मिट्टी या टेल्कम पाउडर में भी मिला सकते हैं। उन्होंने बताया कि
लाल रंग के लिए लांल चंदन पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लाल गुलाल की जगह आप चाहें तो लाल चंदन पाउडर में गुड़हल के फूल को सुखाकर व पीसकर मिलाएं। इससे गुलाल और भी लाल और खुशबूदार हो जाएगा। गीले रंग के लिए दो छोटे चम्मच लाल चन्दन पावडर को पाँच लीटर पानी में डालकर उबालें। इसमें बीस लीटर पानी और डालें। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर भी लाल रंग बनाया जा सकता है।        
काले रंग के अंगूरों को पीसकर उनके पेस्ट में पानी मिलाकर आप उसे रंग के तौर पर उपयोग कर सकते हैं। इनमें चंदन पाउडर भी मिला सकते हैं, ताकि खुशबू भी आ जाए। वहीं अगर आप गुलाबी रंग से होली खेलना चाहते हैं तो एक चुकंदर को काटकर या किस कर एक लीटर पानी में रात भर भिगोएं और सुबह इस घोल को अच्छे से उबालकर गाढ़ा कर लें। इसमें जरूरत अनुसार पानी मिलाकर इससे होली खेलें। चुकंदर पीसकर उसका पेस्ट बना कर भी रख सकते हैं। यह हर्बल रंग आंखों और मुंह में चले जाने के बाद भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाता है। केसरिया रंग से होली खेलना चाहते हैं तो लगभग 250 ग्राम  कचनार के फूल को  रात भर 4 लीटर पानी में भिगोने  प्राकृतिक गुलाबी या केसरिया रंग तैयार किया जा सकता है।
नीले रंग के लिए नील के पौधों पर निकलने वाली फलियों को पीस लें और पानी में उबालकर मिला लें। इसीतरह नीले गुड़हल के फूलों को सुखाकर पीसने से भी आप नीला रंग तैयार कर सकते हैं।
गेंदा व पीले सेवंती के फूलों से भी पीला रंग बनाया जा सकता है। फूलों की पंखुड़ियों को छाँव में सुखाकर महीन पीस लें। इसमें बेसन मिला सकते हैं या सिर्फ ऐसे ही उपयोग कर सकते हैं।
घर के सदस्यों या दोस्तों को ऑर्गेनिक कलर से टीज करने के लिए इस होली पालक और मेथी को पीसकर उसका गीला रंग तैयार करके पेस्ट में थोड़ा पानी मिलाकर सिर पर उड़ेल कर होली का मजा कई गुना कर सकते हैं।