लखनऊ(सौम्य भारत)। लखनऊ प्रिंटर्स एसोसिएशन के तत्वावधान में सोमवार को काला दिवस के रूप में मनाया गया। एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल चोपड़ा ने कहा कि डिब्बों के लिये प्रमुख घटक के रूप में उपयोग होने वाला क्राफ्ट पेपर, कार्डबोर्ड बाॅक्स, व्हाइट पेपर और आर्ट पेपर आदि में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि असामान्य है एवं इस वृद्धि का कोई उचित कारण भी नहीं है। इसके बाद भी कागजों की उपलब्धता में कमी है।
बीएमपीए मीनू डावर ने कहा कि पिछले पांच छः महीनों में पेपर मिलों ने तेजी से अपनी कीमतें बढ़ाई है। जिससे मुद्रण उद्योग भी प्रभावित हुआ है। मुद्रण एक मध्यस्थ उद्योग है और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ अनुबंधित और निविदाओं का पालन करने के लिये बाध्य है। इसलिये बढ़ी हुई कीमतें प्रकाशन और पैकेजिंग उद्योग को भी बहुत प्रभावित करेगा। एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी हिमांशु मिश्र ने बताया कि प्रिंटिंग उद्योग में प्रयोग होने वाले कच्चे माल के मूल्यों हुई बेतहाशा वृद्वि हुई है। उन्होंने बताया कि एआईएफएमपी के आवाह्न पर लखनऊ प्रिंटर्स एसोसियेशन ने कोविड के कारण बहुत से उद्योग धंधे प्रभावित हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा झटका प्रिंटिग और पैकेजिंग उद्योग को लगा है। इस दौरान सभी प्रिंटर्स व्यापारियों ने काला रिबन बांधकर अपना विरोध प्रदर्शित किया।