निजीकरण पूंजीपतियों का है षडयंत्र : अटेवा अध्यक्ष

2 अक्टूबर को 60 लाख से अधिक कर्मचारी अन्याय के खिलाफ करेंगे अपनी आवाज बुलंद लखनऊ(सौम्य भारत))। निजीकरण पूंजीपतियों के षडयंत्र है जो भारत के निम्न व मध्यम वर्ग के खिलाफ है और उनके शोषण का एक तंत्र है। समय- समय पर अटेवा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपना विरोध जताता रहा है। यह बात अटेवा के अध्यक्ष अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने कही। उन्होंने बताया कि आगामी 2 अक्टूबर को गांधी जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए, अटेवा के कार्यकर्ता आम जनमानस को शामिल करते हुए अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने का संकल्प लेंगे। उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर को 60 लाख से अधिक कर्मचारी यह संकल्प लेंगे। जो भी शोषणकारी व्यवस्था सरकार द्वारा लायी जा रही है, चाहे वह निजीकरण हो अथवा नयी पेंशन व्यवस्था हो, उसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार की दमनकारी व्यवस्थाओं का पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा। यह भी संकल्प लेंगे कि जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं हो जाती और निजीकरण पर रोक नहीं लगती है तब तक संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। अटेवा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि अटेवा ने न्यू पेंशन स्कीम व निजीकरण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने का निर्णय लिया है। क्योंकि यह दोनों व्यवस्थाएँ एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने बताया कि शोषणकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ हमेशा लड़ेंगे किसी भी कीमत पर इन गरीब व मध्यम वर्ग विरोधी इन व्यवस्थाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे।