सरकार 126 की बजाय सिर्फ 36 राफेल का सौदा किया है: मेजर आशीष चतुर्वेदी

लखनऊ(सौम्य भारत)। उत्तर प्रदेश भूत पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त मेजर आशीष चतुर्वेदी ने कहा कि केंद्र सरकार 126 की बजाय सिर्फ 36 राफेल का सौदा किया है, जिसमें रॉफेल की टैक्नोलॉजी नही शामिल है। मतलब हम एक नट बोल्ट के लिए भी फ्रांस को फिर से पैसा देंगे। एक राफेल की कीमत 570 करोड़ थी उसे 1670 करोड़ में क्यों खरीदा। इसी राफेल विमान को 2017 में कतर ने 694 करोड़/विमान के हिसाब से खरीदा था। उन्होंने कहा कि गोपनीयता के नाम पर पर सरकार ने बंद लिफाफे में रॉफेल की कीमत सुप्रीमकोर्ट को बताकर बड़ी आसानी से संतुष्ट कर दिया था। यही सरकार भक्त मण्डली व मीडिया महारानी आज रॉफेल की पूरी गोपनीयता भंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या भारत ने इससे पहले कभी लड़ाकू विमान नही खरीदे। जो आज मीडिया इतना उत्साह दिखा रहा है। बड़ी अजीब बात है कि रॉफेल की कीमत बताने से देश की सुरक्षा और सेना की गोपनीयता भंग होती है और राॅफेल कहाँ उतरा, कहाँ तेल भरवाया, कहाँ रखा जाएगा जैसी बातों को प्रचारित करने से देश की सुरक्षा को न खतरा उत्पन्न होता है न सेना की गोपनीयता भंग होती है। अभी तक देश मे अपनी सैन्य जानकारियां और सैन्य शक्ति को गुप्त रखने की परम्परा थी पर अब नही है। बताया जा रहा है कि पास रॉफेल हो तो दुश्मन कांपते हैं। फ्रांस के अलावा क़तर और मिस्र जैसे पिद्दी देशो के पास पहले से ही 36-36 रॉफेल विमान हैं। मेजर ने बताया कि रॉफेल का निर्माता फ्रांस लीबिया में तुर्की से मुकाबला न कर पाया। मिश्र का भी यही हाल हुआ। यदि रॉफेल ही सुपर पॉवर है तो स्वीकार कर लेना चाहिए कि इसे बनाने वाला फ़्रांस विश्वगुरु है। भारत रॉफेल आने से पहले ही विश्व मे चौथे नम्बर का लड़ाकू विमान रखने वाला देश है। उन्होंने कहा कि सबसे पावर फुल फाइटर प्लेन अमेरिका के पास F-22 है, जिसकी क़ीमत 750 करोड़ रु भी रॉफेल से कम है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कभी धर्म की आड़, कभी राम की आड़ तो कभी देश भक्ति और सेना की आड़ में मुख्य मुद्दों बदहाल अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, निजीकरण, महंगाई, कोरोना महामारी, अपराध के आंकड़े छिपाने का काम कर रही है।