कलरफुल शिमला मिर्च सहित अन्य सब्जियों को मिल रहा है वीआईपी ट्रीटमेंट

लखनऊ(सौम्य भारत)। देश में महीने भर से ज्यादा लॉक डाउन की वजह से बहुत सी सब्जियां आढ़तियों के गोदामों में एक करवट, एक दूसरे पर लदी पड़ी थीं। कुछ का पेट भी खराब हो चला था। बदबू के चलते सब एक दूसरे की नाक बंद किये हुए थे। आज मूली खुश थी। कुछ तो असमय आयीं झुर्रियों की वजह से जवानी में दादी परदादी सी दिखने लगी थीं। सरकार घर घर हर तरह का राशन भिजवा रही है, लेकिन सब्जियों दूरी बनाकर चल रही है। मानो इन्होंने ने ही कोरोना को देश में दवात दी है। इन्हीं सब बातों से नाराज सब्जियों ने इमरर्जेंसी मीटिंग बुलवा ली। घुइंया, कटहल, बैंगन, तरोई, प्याज, लौकी और भिंडी को फ्रंट सोफे पर बैठाया गया है। धनिया और अदरक जो पहले पानी पिलाने के लिए रखे जाते थे, आज सबसे अच्छी पोजीशन पर विराजमान हैं। फ्रेंच बीन्स, ब्रोकली, गाजर, कलरफुल शिमला मिर्च, पार्सेल और हरी मिर्च वीआईपी ट्रीटमेंट पा रहे हैं। ऑन लाइन वेजीटेबल मार्केट की रेट लिस्ट में हाई पोजीशन में चल रहे लहसुन की अध्यक्षता में सम्मेलन की कार्यवाही शुरू करते हुए टमाटर ने कहना शुरू किया -'आज हमारी कमी हर घर में महसूस की जा रही है (तालियों की गड़गड़ाहट)। मुझे इस बात की खुशी है कि आपने आलू और प्याज को बिरादरी से अलग कर, उनका हुक्का पानी बंद कर दिया है। बदतमीजों ने हम सब की इज्जत को मिट्टी में मिला कर रख दिया है। हर घर में दस दस किलो की मात्रा में घुसे हुए हैं। हमें कोई पूछ ही नहीं रहा है। होली के आसपास जब आलू लतियाया जाता है तो हमें बड़ी खुशी मिलती है।" तभी लौकी व खीरा ने खड़े होकर दुखी स्वर में कहा -'इंसान हमारे साथ दुर्व्यवहार कर रहा है। पहले वह हमें ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन देकर हमारी सेहत का ख्याल रखता था। अब तो गाय बैलों के खाने के लिए यूं ही खुला छोड़ देता है।" (शेम शेम का शोर) करैला और परवल भी बोेल पड़े कि हमें तो हरे रंग में नहलाकर खूबसूरत बनाया जाता था। अब ऐसी डरावनी सूरतें लेकर हम किसको मुंह दिखायें।" (हंसने का स्वर) गोभी, मटर, टमाटर, गाजर ने अपनी बारी आने से पहले ही बोलना शुरू कर दिया, -'हमें तो बड़ी उम्मीद थी इस बार शादी ब्याह में हमारे भाव आसमान छुएंगे। हमें कोल्ड स्टोरेज से निकालकर तपती गर्मी में आधे दाम पर चोरी छिपे बेचा जा रहा है। हमारी भी कोई इज्जत है कि नहीं?" 
        वर्दीधारियों की दादागीरी ये कि सब्जियों सहित ठेले पलटने और गलियों में तरकारी ढोने वालों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर शोर-शराबा बढ़ता जा रहा था। तभी सवेरा होने लगा। मंडी में रोज की तरह कुछ सरदारजी आये और वे लॉक डाउन के चलते शहरों में फंसे कामगारों व मजदूरों के भोजन के वास्ते सब्जियां तुलवाने लगे। आलू प्याज तराजू के झूले में झूलने लगे। दो बोरे आलू प्याज को गाड़ी पर चढ़ता देख, सब्जियों का मुंह कसैला हो उठा। आलू जानता था कि वह ही बेताज बादशाह है। बाकी तो मौसम के गुलाम हैं।