मुझे प्यार से कोविड 19 भी कहते हैं।'... ‘मैं हूं डेंगू...

- आइये आपको कराते हैं संक्रमण का भ्रमण
(प्रेमेंद्र श्रीवास्तव)
लखनऊ(सौम्य भारत)। दबे पांव विदेश से चला। सुरक्षित लैंड हुआ। एयरपोर्ट के टाॅयलेट से होता हुआ महानगरी में आया। एक शहर से दूसरे शहर में उसके टहलते ही तहलका मचने लगा।  वह नाक से निकला और उसने सबकी नाक में दम कर दिया। उसने दिल्ली, पुणे, इंदौर, चिन्नै और मुम्बर्इ में अपनी धाक जमायी। नवाबों के शहर लखनऊ में भी आ धमका। कैंट क्षेत्र के पुराने मकान से सटे एक बिजली के खम्बे के नीचे सब इक्ट्ठा हुए। उसके प्रोटोकाल में जैपनीस इंसेफ्लाइटिस व डेंगू के वायरस साथी पहले से मौजूद थे। इन्ट्रोडक्शन हुआ। ‘मैं कोरोना हूं मूल निवासी वुहान चीन। वैसे मुझे प्यार से कोविड 19 भी कहते हैं।'... ‘मैं हूं डेंगू... ये जैपनीस इंसेफ्लाइटिस और ये स्वाइन फ्लू।' एक दूसरे से हाथ न मिलाकर, नमस्कार हुई I सब एक मीटर के डिस्टेंस में बैठ गए I...
     'आज कल तो साहब आपके दुनिया भर में जलवे हैं। हमें तो कोई पूछ भी नहीं रहा है।’ कूड़े में मुंह मार रहे एक सुअर की पीठ पर बैठा जेई बोला, ‘विराजें सर। और आपको यहां पहुंचने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?’
       ‘नहीं, फ्लाइट से एक बुड्ढे के साथ आया था।... बुड्ढा तो निकल लिया लेकिन काम भरपूर कर गया। बेबी डाॅल अब कैसी है।... अरे चिकनगुनिया और बर्ड फ्लू नहीं दिखायी दे रहे हैं?’... ‘सर वह तो बीमार चल रहे हैं।’..‘ओह!’ स्वाइन फ्लू ने बात आगे बढ़ार्इ ‘मेरी समझ में यह नहीं आता है कि वायरस इजाद तो इंसान करता है और तोहमत पशु पक्षियों पर मढ़ देता है। बीमारी कोई भी हो, बलि बेचारी मुर्गियों की ली जाती है। इस शहर में कुत्तों के काटने से और सांड़ के पटकने से कितने ही लोग वोटर लिस्ट और राशन कार्ड से अपना नाम कटा चुके हैं। इसके लिए कोर्इ हो हल्ला नहीं। कोरोना ने हंसते हुए कहा, मुझे तो यह देखकर हंसी आती है कि मुझ जैसे अदृश्य जीव की खोज में पूरी दुनिया की पुलिस लगी हुई है। मुझसे डरकर लोग घरों में दुबक गये हैं। वो यह नहीं जानते मैं उनकी जेबों में नोटों के साथ गर्म हूं I सब ही-ही कर हंसते हैं। तभी नीली बत्ती वाली सफेद गाड़ी सायरन बजाती गुजरती है। गाड़ी को देखकर सभी विदेशी वायरस सीरियस हो जाते हैं। वे वहां से निकलने की सोच ही रहे थे कि अचानक रुक गये। एक ने दूसरे को कोहनी मारकर सामने देखने का इशारा किया। सफेद गाड़ी में बैठे लोग थूकते जा रहे थे। सड़कों पर संक्रमण नाच रहा था। कोरोना के पैर भी थिरकने लगे थे।