महिलाएं शिक्षित होंगी तो करेगा देश व समाज तरक्की : न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह

- शिक्षित बनो... संगठित रहो... संघर्ष करो
लखनऊ(सौम्य भारत)। सामाजिक चेतना फाउंडेशन के तत्वावधान में मंगलवार को  न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में बाबा साहब के जन्मदिवस पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सेमिनार किया गया।
इस दौरान विभिन्न वक्ताओं ने बाबा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बाबा साहब के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा की। इस मौके पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति व सामाजिक चेतना फाउंडेशन के संरक्षक वीरेंद्र सिंह ने बाबा साहब के सिद्धांतों पर चलने की अपील की। उन्होंने कहा कि बाबा साहब को मानने के बजाय जानना ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा बाबा साहब द्वारा रचित संविधान की प्रति प्रत्येक व्यक्ति के पास होने की बात कही। जस्टिस श्री सिंह ने  बाबा साहब के संकल्प को दोहराते हुए स्त्री शिक्षा पर जोर देकर कहा कि जब तक समाज में महिलाएं शिक्षित होंगी तो करेगा देश व समाज तरक्की। इस दौरान अवकाश प्राप्त न्यायाधीश बीडी नकवी ने कहा कि बाबा साहब सामाजिक समानता के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का सपना था कि बिना सामाजिक स्वतंत्रता हासिल किए संवैधानिक स्वतंत्रता बेकार है। लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रो राजेंद्र वर्मा ने बाबा साहब के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज को सबसे पहले शिक्षित होना होगा बिना शिक्षा के समाज तरक्की नहीं कर सकता। शिक्षित समाज स्वयं अपने हक और अधिकार हासिल कर लेता है। इसलिए सबसे पहले समाज को शिक्षित करना जरूरी है। लखनऊ विश्वविद्यालय से डॉ राजेश कुमार ने बाबा साहब के मूल मंत्र शिक्षित बनो... संगठित रहो... संघर्ष करो पर प्रकाश डाला। साथ में समाज को संगठित होकर देश और समाज में बदलाव लाने की अपील की।  उन्होंने कहा कि
स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री के रूप में मान्यता प्राप्त, भारतीय गणराज्य की संपूर्ण अवधारणा के निर्माण में अम्बेडकर जी का योगदान बहुत बड़ा है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। इंजीनियर अभिषेक यादव ने बाबा साहब के 21 मूलमंत्रो पर प्रकाश डाला और सभी को पढ़कर एक-एक मंत्र को अपने जीवन में लागू करने की अपील की। सामाजिक चेतना फाउंडेशन के विधिक सलाहकार डॉ ओम प्रकाश कनौजिया ने बाबा साहब के न्याय के सिद्धांत को प्रतिपादित किया और समाज में अधिवक्ताओं से अपील किया कि अधिवक्ताओं को देश के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से कानून की जानकारी तथा उन्हें उनके अधिकार व कर्तव्य के बारे में जागरूक करना चाहिए। इंजीनियर सादिया सिद्दीकी ने हिस्सा लेते हुए स्त्री शिक्षा बाल विवाह व विधवा पुनर्विवाह पर प्रकाश डाला तथा समाज में महिलाओं को अपनी सोच और धारणा बदलने के लिए प्रेरित किया। इंजीनियर पिंकी यादव ने समाज में लोगों के अंदर वैज्ञानिक चिंतन व वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने पर बल देने के साथ साथ युवाओं को इसके लिए समाज को जागरूक बनाने में खुलकर आगे आने के लिए प्रेरित किया। परिचर्चा में अवकाश प्राप्त जिला जज डॉ राजाराम यादव, केजीएमयू से प्रो बी सुरेश, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव राजबहादुर, सामाजिक चेतना फाउंडेशन के सलाहकार व उपाध्यक्ष डॉक्टर छविलाल अंबेडकर ने डॉ भीमराव अंबेडकर के व्यक्तित्व कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डाला। अंत में फाउंडेशन के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र कुमार ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।