काव्यक्षेत्रे होली काव्य गोष्ठी के बाद हुआ सम्मान

लखनऊ(सौम्य भारत)। रंगपर्व होली व अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर काव्यक्षेत्रे साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में भवानी आईटीआई कॉलेज में सरस काव्य गोष्ठी एवं सम्मान का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता नरेंद्र भूषण ने की। संस्था अध्यक्ष हरि मोहन बाजपेयी माधव के कुशल संचालन में हास्य व्यंग्य, श्रंगार रसों से परिपूर्ण काव्य धारा प्रवाहित हुई। मधुर कंठ से वाणी वंदना की प्रखर स्वर साधक कुमार तरल ने देवि चरणों में समर्पित ये सुमन आराधना की तो चन्द्र देव दीक्षित ने मुक्तकों से नारी सशक्तीकरण को रेखांकित किया। आँखों में आकाश भरा है, साँसों में विश्वास भरा है। गौरीशंकर वैश्य विनम्र ने कोरोना और मिलावट जैसे समसामयिक विषयों को हास्य व्यंग्य के माध्यम से लपेटा कोरोना का डर सवार है, दूर दूर से नमस्कार है। सरस छंद शिल्पी मनोज कुमार मनुज ने राधा कृष्ण होली प्रसंग को जीवंत किया। राधा जी मगन भई श्याम में...। संस्था के महामंत्री राजेंद्र कात्यायन ने होली हुड़दंग के रोचक चित्र प्रस्तुत किया। गली गली में मच गया, होली का हुड़दंग। नाच रहे हैं लोग सब, ज्यों पीली हो भंग। हरिमोहन बाजपेयी माधव ने मुक्तक और गजलों से रससिक्त किया। रंग मेरे उड़ा गया कोई, दिल को मेरे चुरा गया कोई। मंजुल मंजर ने नारी के विविध रूपों और सामयिक विसंगतियों को स्वर दिया गुलशन सब वीरान हो गए, खंडहर आलीशान हो गए। कार्यक्रम में संस्था द्वारा शोभा दीक्षित भावना को 'काव्यक्षेत्रे काव्य किरीट' सम्मान से अलंकृत किया गया। उन्होंने महिला दिवस पर नारी की पीड़ा को व्यक्त किया विष को मीरा सा पी लिया हमने, अपने अधरों को सी लिया हमने। डॉ अजय प्रसून ने बेटियाँ शीर्षक गीत के माध्यम से नारी विमर्श को उकेरा बेटियाँ ही तो हमारी आस हैं, बेटियाँ ही तो सुदृढ विश्वास हैं। कुमार तरल ने आजकल की सामाजिक वक्रता को इस प्रकार शब्दांकित किया। पसर गयी मधुवन में नागफनी आजकल, फूल और काँटों में खूब ठनी आजकल। नरेंद्र भूषण ने गीतिकाओं से भाव विभोर किया। कहते जिसे, न करते क्यों हो। कहकर बात, मुकरते क्यों हो। गोष्ठी का समापन सचिव राजेंद्र कात्यायन के आभार प्रदर्शन से हुआ।