कहानी मनुष्य की आदिकाल से साथी रही है

- नई पीढ़ी अपने पुराने साहित्यकारों को भूलती जा रही है
लखनऊ (सौम्य भारत)। कथाकथन लखनऊ की द्वितीय वर्षगांठ पर वाल्मिक सभागार, गोमती नगर में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ हरिओम आई.ए.एस ने दीप प्रज्वलन कर किया। इसके बाद कथाकथन लखनऊ की फाउंडर नूतन वशिष्ठ ने अपनी संस्था का परिचय कराया। इस अवसर पर पांच कहानियां पढ़ी गई पहली कहानी भीष्म साहनी की चीफ की दावत अन्नपूर्णा नंद की अकबरी लोटा, प्रेमचंद की कफन,अमृता प्रीतम की जंगली बूटी एवं प्रेमचंद की आत्माराम कहानी अवधीमें पढ़ी गई। इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यक्ति डॉ राम बहादुर मिश्र, डॉ संजीव जयसवाल, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ला कथा क्रम पत्रिका के संपादक शैलेंद्र सागर और इतिहासकार रवि भट्ट उपस्थित रहे। कथाकथन टीम के सभी सदस्य अनुपमा, पुनीता, कनिका, अपूर्वा, मालविका, रचना, सत्या, आयुष विक्रम, सोम, विवेक श्रीवास्तव अंशु गुप्ता भी उपस्थित रहे। कहानी मनुष्य की आदिकाल से साथी रही है पहले किस्से होते थे फिर कहानी गद्य की विधा बनी। कहानी पहले भी सुनाई जाती थी, लेकिन आज जब हमारी नई पीढ़ी अपने पुराने साहित्यकारों को भूलती जा रही है तो इस दिशा में लखनऊ कथाकथन टीम ने कहानियों को रोचक तरीके से सुनाने का जो सिलसिला शुरू किया उसको आज पूरे 2 वर्ष हो गए ।कथाकथन की टीम के सदस्यों द्वारा सुनाई कहानियों से कहानी के पात्र जीवंत हो उठते हैं और लगता है कि यह कहानी हमने बचपन में पढी थी इसका श्रेय कथाकथन टीम की फाउंडर नूतन वशिष्ठ को जाता है, जिन्होंने पूरी टीम को वर्तनी की शुद्धता ,भाषा का प्रभाव एवं भावों की अभिव्यक्ति को कहानियों में समझाने की चेष्टा की।