जीवन जीने की कला सिखाने के लिए श्री राम जी का जन्म हुआ था : कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल

लखनऊ(सौम्य भारत)। मर्यादा को स्थापित करने एवं जीवन जीने की कला सिखाने के लिए श्री राम का जन्म हुआ था। उक्त बातें कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल ने अखिल भारतीय श्री राम-नाम जागरण मंच के तत्वावधान में मंगलवार को राम-राम बैंक चौराहा पर 11 दिवसीय श्री राम कथा के दौरान कही।
         श्री राम कथा महोत्सव के तीसरे दिन कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल ने भक्तों को कथा सुनाते कहा कि भगवान शिव एवं पार्वती के मिलन के बाद श्रीराम कथा का प्रारंभ होता है। माता पार्वती ने भगवान शिव से जो प्रश्न पूछे उसी का संपूर्ण उत्तर रामचरितमानस है। जब अपने इष्ट के प्रति अटूट श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है तब भगवान की प्राप्ति होती है। जब भजन अतिशय बढ़ जाए, हर सांस में भगवान का सुमिरन प्रारंभ हो जाए तो यह जान लेना चाहिए कि परमात्मा हमारे अति सन्निकट हैं।                                      कथा समापन के बाद भोजन प्रसाद वितरित किया गया।                                                   श्री राम कथा में महापौर संयुक्ता भाटिया, वरिष्ठ समाज सेविका बिंदु बोरा, पंडित निर्मल शास्त्री, पार्षद रुपाली गुप्ता, राजन त्रिवेदी, विनय शर्मा, अतुल मुखर्जी, भीम अग्रवाल, वीरेंद्र शुक्ला, पृथ्वी गुप्ता, प्रशांत गुप्ता, रामानुज,  अतुल मिश्रा, आशुतोष सिंह, नंदकिशोर मिश्रा, डीपी शुक्ला, राजेंद्र प्रसाद शुक्ला, डीएस पाण्डेय, उमेश पाण्डेय व विनय शर्मा मौजूद थे।