नागरिकता संशोधन विधेयक व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के विरोध में प्रदर्शन


लखनऊ(सौम्य भारत)। नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 सीएबी व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरआई के विरोध में सोमवार को गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन किया।
इस मौके पर प्रो रमेश दीक्षित ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना है। सीएबी संविधान के इस दर्शन का उल्लंघन करता है। प्रो. अली खान महमूदाबाद ने कहा कि सीएबी न केवल अवैध है बल्कि यह अनैतिक है। अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि भारत में धर्म कभी भी नागरिकता का आधार नहीं रहा है।
डॉ. पवन राव अंबेडकर ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने कभी भी इस स्थिति की कल्पना नहीं की, जहां सरकार भारतीय संविधान के बहुलतावादी मूल्यों के खिलाफ काम करेगी। अमीक जामई ने कहा कि सीएबी संविधान विरोधी है। वर्तमान सरकार के संवैधानिक विरोधी कदमों का खुलकर विरोध करना चाहिए। महिला अधिकार नेता ताहिरा हसन ने कहा कि यह किस तरह का बिल है, जहां एक समुदाय अलग-थलग है। हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं जो संविधान के अनुसार चलता है। सुहैब अंसारी ने कहा कि इस बिल को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला है। समानता हमारा मौलिक अधिकार है। धर्म के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक है।
एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मशकूर अहमद उस्मानी ने कहा कि यह संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है जो सभी को यह अधिकार देता है कि किसी को भी धर्म, आयु, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। डॉ. सबीहा फातमा ने कहा कि सीएबी का एकमात्र उद्देश्य भारत के मुसलमानों को दरकिनार करना प्रतीत होता है।