मानवीय संवेदना को जाति, धर्म, भाषा व सम्प्रदाय की सीमाओं में न बांधें - शिवपाल 

लखनऊ (सौम्य भारत)।भारतीय सांस्कृतिक विरासत ने हमेशा कमजोर, वंचित व शोषित समाज के पक्ष में खड़े होने का साहस दिखाया है। हमारी मानवीय संवेदना को जाति, धर्म, भाषा व सम्प्रदाय की सीमाओं में नहीं बंधना चाहिए।
उक्त बातें रविवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की युवजन सभा द्वारा लखनऊ में पार्टी मुख्यालय पर आयोजित युवा अधिवेशन में प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने कही। श्री यादव ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम में सिर्फ तीन पडोसी देशों के अल्पसंख्यक हिन्दू सिख, जैन एवं बौद्ध को नागरिकता प्रदान करने की बात की जा रही है, जो कि सीधा धर्म को आधार बनाकर किया जा रहा है। जबकि मुस्लिम को इसमें शामिल नहीं किया गया है। जब कि भारतीय मुसलमान उतना ही देशभक्त है जितना हिन्दू। भारत के सभी पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, म्यामार तथा चीन में रहने वाले वहां के अल्पसंख्यक यदि प्रताड़ित होकर भारत में आते हैं तो उन्हें नागरिकता प्रदान की जाये। जो भी भारतीय मूल के व्यक्ति प्रताड़ित होकर भारत आते हैं, तो उन्हें भारत की मानद नागरिकता प्रदान की जाये। इसमें जाति, धर्म, भाषा का विभेद नहीं हो।
श्री यादव ने कहा कि असल में युवा ही देश व समाज की तकदीर बदलता है। जब जब युवा करवट बदलता है तो बदलाव की नई बयार बहती है। श्री शिवपाल यादव ने कहा कि आज देश व प्रदेश की जनता महंगाई, भ्रष्टाचार व खराब कानून व्यवस्था से पीड़ित है। यह शर्मनाक है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में उत्तर प्रदेश का रिकार्ड बेहद खराब हो गया है। शिवपाल यादव ने यह भी कहा कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य भी नहीं मिल रहा है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के एक राजनेता ने कहा था कि पुराना रिकार्ड देख लें , बड़े बड़े नेताओं ने संगठन बनाएं और उनका राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो गया। मेरे बारे में यह कहा गया कि मेरा पूर्वांचल में कोई राजनीतिक आधार नहीं है। लोगों ने देखा कि हमने पूर्वांचल में बड़ी राजनीतिक सभाएं कीं हैं। और तीन माह की सीमित अवधि में हमने चुनाव में शानदार संगठन खड़ा कर हस्तक्षेप किया है।
राजनीति कई बार अंकगणित से अधिक रसायनशास्त्र होता है। हम भी कह सकते हैं कि अगर हमें गठबंधन का हिस्सा बनाया जाता या प्रसपा लोहिया का गठन नहीं होतो तो जो चुनाव परिणाम आए हैं, उससे बहुत अलग परिणाम होते। निश्चय ही हमने उत्तर प्रदेश की राजनीति को प्रभावित किया।
कार्यक्रम को प्रदेश अध्यक्ष सुंदर लाल लोधी, दीपक मिश्र, रिछपाल सिंह चैधरी, इरफान मलिक, अलका सिंह, गौतम राणे व सोनम ने अपने विचार रखे। अधिवेशन में अमित जानी, विजय यादव, नितिन कोहली, दिनेश सिंह यादव, शैलेश यादव, अनिल सिंह राणा एवं आशुतोष त्रिपाठी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।